'अयोध्या' की 'एक बूंद' छोड़ गेह निज सीप मुख में पहुंचकर बन जाती है मोती। 'अयोध्या' की 'एक बूंद' छोड़ गेह निज सीप मुख में पहुंचकर बन जाती है मोती।
कोई बदला ले रहे हो क्या आजकल कोई बदला ले रहे हो क्या आजकल
नव पात नव रूप धरा बदले स्वरूप नव कोंपल अनूप ख़ुशी का संसार है। नव पात नव रूप धरा बदले स्वरूप नव कोंपल अनूप ख़ुशी का संसार है।
जीवन में सुख पाना है तो, बदले का चक्कर छोड़ो जीवन में सुख पाना है तो, बदले का चक्कर छोड़ो
तुम्हारे लिए क्या कहे शब्द कम पड़ जाते हैं। तुम्हारे लिए क्या कहे शब्द कम पड़ जाते हैं।
इस कलयुगी सृष्टि में कोई और मार्ग नहीं है क्या। इस कलयुगी सृष्टि में कोई और मार्ग नहीं है क्या।